फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर। फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर।
फिर मत कहना, समय रहते ... मैंने कहा नहीं ! फिर मत कहना, समय रहते ... मैंने कहा नहीं !
कभी तो खुदा की उधार देनदारी है आज की नारी में बहुत समझदारी है। कभी तो खुदा की उधार देनदारी है आज की नारी में बहुत समझदारी है।
आती रहती है उड़-उड़ कर तेरी यादों की चिट्ठियां आती रहती है उड़-उड़ कर तेरी यादों की चिट्ठियां
फिर एक साथ लोग मिलकर बोले यही है "ठंड का असल मर्ज"! फिर एक साथ लोग मिलकर बोले यही है "ठंड का असल मर्ज"!
वो किवाड़ अब नहीं खुलते, वो दरवाजे अब राह नहीं तकते। वो किवाड़ अब नहीं खुलते, वो दरवाजे अब राह नहीं तकते।